बुधवार, अप्रैल 17, 2019

इसके अलावा बाकी सब मस्त है !!

वो जब मुझमें उतरती है
मैं नदी की तरह बहता हूँ
वो नाव की तरह तिरती है

मैं नींव की तरह दबता हूँ
वो पुरानी इमारत की तरह गिरती है
डरना उसके लिए खाना खाने जितना जरूरी है
वो दिन में तीन बार नियम से डरती है
इस तरह आप अंदाज़ लगा सकते हैं
कि एक बार जीने के लिए वो कितने बार मरती है

और हां एक बात और....

जिनके लिए दुख का मतलब
ग्लिसरीन वाले आँसू हैं
उनकी फैक्ट्री में आजकल
समय के सांचे गढ़े जा रहे हैं
इसीलिए संवेदना के चित्र
सुनहले फ़ोटो फ्रेमों में मढ़े जा रहे हैं
लोग संवेदना के मरने पर दुखी हैं
और अपने अपने लिए ग्लिसरीन का इंतजाम करने में व्यस्त हैं

इसके अलावा बाकी सब मस्त है
चल यार फिर कभी बात करता हूँ

अनुराग अनंत

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