शनिवार, मई 14, 2011

याद आई तेरी जब-जब

तेरी यादमें अक्सर आंसू बहता हूँ , ये बताओ तुम मुझे, क्या मै भी तुम्हे याद आता हूँ ??   


याद आई तेरी जब-जब , 
नयन सावन से झरे ,
आँखें सागर हो गयी,
 अश्रु झर-झर कर गिरे ,
मैं विकल विह्वल हुआ ,
प्रेम में घायल हुआ ,
आज बनने को चला था ,
बीता हुआ कल हुआ ,
एक ह्रदय साथ था ,
 न जाने कहाँ खो गया ,
बिन ह्रदय कोई जगत में,
 कैसे जिए ,कैसे मरे ,
याद आई तेरी जब-जब , 
नयन सावन से झरे ..........
नदी बहती रही किनारे ,
मिल सके न आज तक प्यारे ,
एक किनारे पर एक किनारा  ,
दूजे पर दूजा निहारे ,
प्राण तन से है अलग ,
तन प्राण को पल-पल पुकारे ,
प्राण बिन ये तन बिचारे ,
कैसे अपना जीवन गुजारे , 
याद आई तेरी जब-जब , 
नयन सावन से झरे ..............
वो तेरा स्पर्श प्यारे ,
धडकनों में अब तक बसा है ,
वो तेरी आवाज़ की धुन ,
मन मेरा ये नाचता है ,
जब कोई रोता है अकेले ,
खुद ही आंसू पोंछता है ,
प्रेम यदि  अपराध है तो ,
हो गया ,अब क्या करें ,
याद आई तेरी जब-जब , 
नयन सावन से झरे ,
आँखें सागर हो गयी,
 अश्रु झर-झर कर गिरे ,,

तुम्हारा --अनंत 

गुरुवार, मई 12, 2011

एक बार क्रांति पंथ पर

रक्त चाट कर महापुरषों का समाज कोई बदलता है 
ये क्रांति का पंथ है ,
इसका न कोई अंत है ,
राह  शूल है पड़े ,
अनल अंगार है जड़े ,
 है यदि अडिग विचार से ,
तो व्यर्थ भय प्रहार से ,
ये अनल तुझे जला न पाएगी ,
दसों दिशाएं तेरी कीर्ति गान गाएंगीं ,
गूंजेगा जीवन में फिर एक राग अमर ,
एक बार क्रांति पंथ पर,
झूम जा जीवन की रज भिखेर कर ,
पीसता है दाँत तू ,
तू बंधता है मुट्ठियाँ ,
तू खीजता है एकांत में ,
भींच कर के चभरियाँ ,
हाँथ अपने ले खड़ग ,
विचार सिंह शहीद  का ,
असफाक,रोशन ,बिस्मिल का, 
बोस और आजाद का , 
उत्सर्ग कर तू प्राण अपने ,
तृषित दृगों को निहार कर ,
एक बार क्रांति पंथ पर,
झूम जा जीवन की रज बिखेर कर ,
जीवन मरुथल में व्याकुल कंठों को ,
जीवन धार पिलाने को परिवर्तन कर ,
है भ्रष्टता में लिप्त घोर भ्रष्ट तंत्र 
निज जीवन की आहूति दे कर खंडन कर ,
ये युद्ध अस्त्र-शस्त्र का  नहीं है, हे !अर्जुन ,
ये युद्ध विचारों का है धार के ध्यान तू सुन ,
चढ़ कर मानवता के रथ पर समता का भाषण  कर ,
मानवता के कोमल  चरणों में निज जीवन अर्पण कर ,
तरस रहीं है मेरी ऑंखें दर्शन को ,
दिखा मुझे तू परिवर्तन दृश्य  उकेर कर ,
एक बार क्रांति पंथ पर ,
झूम जा जीवन की रज बिखेर कर ,

 तुम्हारा --अनंत "

 जीवन खुद के लिए जीने का नाम नहीं बल्कि किसी और के लिए जीने का नाम है ''
इंक़लाब जिंदाबाद !!!!!!!!!!!!!!!!!!!
उन्हें भी जीने का हक है जिन्होंने जीवन देखा ही नहीं ,ये जीवन भी कितना अजीब होता है न !!!!!!!!!!
 किसी के लिए  कुछ और है किसी के लिए कुछ और,
 अमीरों के लिए मज़ा  है ये जीवन ,गरीबों के लिए सजा .......
क्या आप अपने जीवन में इसके खिलाफ आवाज़ उठांगे ??????

बुधवार, मई 04, 2011

मंदिरों-मस्जिद को उसका घर

मेरी हसरतों को बस खार ही  नसीब हुए,
फूलों को किसी और ने चुरा लिया ,
खता किसी और की क्या कहें ''अनंत''
हमने ही आंसुओं को मुकद्दर बना लिया ,
सोया कभी दर्द ओढ़ कर ,
कभी दर्द को बिचौना  बना लिया ,
जिया दर्द को  दिल में साथ ले कर ,
दर्द को हमने हमसफ़र बना लिया ,
लोग डरतें हैं ,हादसों से ,
हमने हादसों से दिल लगाया ,
ये हादसे ही तो थे ,
जिन्होंने हमें  शायर  बना दिया ,
चौक पर पर खड़ी थी शरीफों की ज़मात,
मै गुजरा उधर से आइना ले कर ,
न जाने क्यों वो बेवजह बिगड़े मुझ पर,
शायद मैंने उनको उनकी असलियत दिखा दिया ,
माँगू क्यों दुआ मै किसी पत्थर के सामने ,
किसी पत्थर दिल ने ही पत्थर को खुदा बना दिया ,
रहता था और रहता है, वो इंसानों के दिलों में ही ,
ये तो फिरकापरस्तों ने मंदिरों-मस्जिद को उसका घर बना दिया 
तुम्हारा --अनंत

रविवार, मई 01, 2011

जब तक जीत मिले न हमको , हमे लड़ते रहना है ,

  जब कौम किसी से लडती है तो बच्चा -बच्चा लड़ता है ,  
जब तक जीत मिले न हमको ,
हमे लड़ते रहना है ,
मंजिल जब तक मिले न हमको ,
हमें  बढ़ते रहना है ,
भूखे पेट पर हाँथ रख कर कसम खाओ ,
बांध कर मुट्ठी इंक़लाब का परचम लहराओ  ,
फाँकाकशों को जोड़ कर एक फौज़ बनाओ ,
मुफलिसी के खूँ से रँगी दिवार ये गिराओ ,
जब तक जीवन मिले न हमको ,
हमें  मरते रहना है ,
जब तक जीत मिले न हमको ,
हमें लड़ते रहना है ,..................

ग़म को यूँ ही , न दिल में दबाओ ,
न दबो किसी से , न अश्क बहाओ ,
कीमत समझो अपने पसीने की तुम ,
इसे परिवर्तन की  नदी बनाओ ,
जब तक सागर मिले हमको ,
हमें बहते रहना है ,
 जब तक जीत मिले न हमको ,
हमें लड़ते रहना है ,..................

तुम मजदूर ,तुम किसान ,तुम कामगार हो ,
तुम भूंखे हो ,तुम विपन्न हो ,तुम बेघर हो ,
तुम निर्माता ,तुम जनक ,तुम सर्जक हो ,
पर खुद को देखो तो तुम कितने जर्जर हो , 
जब तक सत्ता मिले न हमको ,
हमने शक्ति दिखाते  रहना है ,
जब तक जीत मिले न हमको ,
हमें  लड़ते रहना है ........................

तुम्हारा -अनंत  
इन्कलाब जिंदाबाद ................
मजदूर एकता जिंदाबाद ......छात्र एकता जिंदाबाद ........किसान एकता जिंदाबाद ......
आज 1 may है जो की मजदूरों के संघर्ष के प्रतीक के रूप में पूरे विश्व  में मनाया जाता , इस may दिवस से पूरे विश्व का मजदूर वर्ग प्रेरणा और संघर्ष की शक्ति प्राप्त करता है  .ताकि वो इस पूंजीवादी शोषण पर टिकी हुई व्यवस्ता ,सरकार व मानसिकता के विरुद्ध लड़ सके  , और सर्वहारा दृष्टिकोण पर आधारित समाजवादी  व्यवस्था ,सरकार व मानसिकता स्थापित कर सके ........आज may दिवास पर मेरा मजदूर आन्दोलन व उनके संघर्षों को एक रचनात्मक समर्थन व नमन .......
तुम्हारा --अनंत