सोमवार, अक्तूबर 27, 2014

"रात के उस पार" का गीत..!!

चाँद सिरहाने रख कर
सोया है एक सपना
कुछ तेरा है
कुछ मेरा है
पर है पूरा अपना
इस सपने से एक दिन सूरज उट्ठेगा
और रात के उस पार मिलन होगा अपना
चाँद सिरहाने रख कर सोया है एक सपना...

धरती और उफ़क से कहने को
ख्याल बहुत है दरिया सा बहने को
पर आँखों की भाषा ये कहती है
कुछ और देर ये ख़ामोशी रहने दो
आँखे हर वो बात समझतीं हैं
जो है आँखों को कहना
चाँद सिरहाने रख कर सोया है एक सपना ...

सावन के बालों में उलझी
पानी सी एक कहानी है
अबकी सावन में मुझको
बस वो तुम्हे सुनानी है
मैं ख्वाबों की आवाज़ में बोलूँगा
तुम नीदों के कान से सुनना
चाँद सिरहाने रख कर सोया है एक सपना...

इस बार जो मिलेंगे हम
दरिया सा बह जायेंगे
जहाँ अम्बर और धरती मिलते हैं
वहीँ बैठेंगे और बतियाएंगे
मैं सागर सा तुम्हे पुकारूँगा
तुम रेत महल सा ढहना
चाँद सिरहाने रख कर सोया है एक सपना...

तुम्हारा-अनंत



सजनिया रे...!!

पाँव में बाँध कर नाचूं मैं तो
तेरी यादों की पैजनिया
सजनिया रे...
तूने मुझे पागल करके छोड़ दिया

रह रह बरसा, रह रह तरसा
भटका सागर, सहरा, नदिया
सजनिया रे...
तूने मुझे बादल करके छोड़ दिया

आँखों में उमड़ा दर्द एक गहरा
और सागर सी लहराई अखियाँ
सजनिया रे...
तूने मुझे काजल करके छोड़ दिया

सांस-सांस मेरी बजी मुसलसल
और धड़कन पर तू उभरी पल पल
सजनिया रे...
तूने मुझे पायल करके छोड़ दिया

चाह नहीं कोई बस आह बची है
मेरी निगाह में तेरी निगाह बची है
सजनिया रे...
तूने मुझे घायल करके छोड़ दिया

तुम्हारा-अनंत

बुधवार, अक्तूबर 22, 2014

एक खता हुई हमसे...!!

एक खता हुई हमसे बस, जो हमने तुमसे प्यार किया
तुमने, जीता हमको हमसे और हम पर अधिकार किया

ऐसा हमको बना दिया कि प्यार और किसी से न हो पाया
न दिल खुल कर हंस पाया और न दिल खुल कर रो पाया
भुला सके होते जो तुमको तो जीवन, जीवन बन जाता
तुम्हारी याद में ये जीवन बस, बेबस भटकन बन पाया
हमने तुमको माँगा और तुमने अपनी यादों का हार दिया  
एक खता हुई हमसे बस... 

जब दर्द तुम्हारा करवट लेता है, तो हम आह से गीत बनाते हैं
तुम बेवफा नहीं, मेरी वफ़ा ही ज्यादा थी, खुद को ये समझाते हैं
कोई वफ़ा किसी से यूं न करे कि खुद से बेवफा हो जाए
कोई याद किसी को यूं न करे कि जीवन आंसू बन जाए
हमने यादो की दुनिया में रो-रो कर जीवन गुज़ार दिया
एक खता हुई हमसे बस... 

हम जब भी पास तुम्हारे आए, बस यूं ही मुस्काते थे
तुमने जख्म दिए थे जो, वो हम तुमसे ही छिपाते थे
तुम कहते थे तो हंस देते थे, तुम कहते तो गाते थे
तुम जो मिल जाते थे तो हम धड़कन पा जाते थे
तुम्हारी यादों के जख्मों का, हमने तुम्हारी यादों से उपचार किया
एक खता हुई हमसे बस...


तुम्हारा-अनंत

रविवार, अक्तूबर 19, 2014

ए मौत तुझसे मिलने के बाद..!!

ए मौत तुझसे मिलने के बाद,
जिंदगी बेगानी सी लगती है |
सौ बार पढ़ा, सौ बार रटा
पर फिर भी जिसको भूल गया
ज़हन में उलझी, दिल में अटकी
एक कहानी सी लगती है
ए मौत तुझसे मिलने के बाद........

दर्द, उदासी और तन्हाई
घायल रौशनी, रोती परछाई
मेरी आँखों के कोरों में ठहरे
जख्मी पानी सी लगती है
ए मौत तुझसे मिलने के बाद........

तुमने याद किया और भूल गए
और हम फांसी पर झूल गए
तुम्हारी प्रेम में डूबी बोली अब
यादों की नीलामी सी लगती है
ए मौत तुझसे मिलने के बाद........

तुम्हारा-अनंत