सोमवार, अप्रैल 11, 2011

याद सीने में अटकी हुई है ,

ये आंसू तन्हाई के हैं 
साँसों का क्या है ,
ये आती हैं ,जाती हैं ,
एक तेरी याद है ,
जो  सीने में अटकी हुई है ,

मुझे रह -रह कर पुकार रहा  है कोई,
छिप -छिप कर निहार रहा है कोई ,
मैं अब मैं नहीं रहा शायद ,
मेरे भीतर जिन्दगी गुज़ार रहा है कोई ,
लगता है ये तेरी यादों का जंगल है ,
जहाँ मेरी रूह भटकी  हुई है, 

एक तेरी याद है ,
जो सीने में अटकी हुई है ,

कल की ही तो बात है ,
तेरा नाम किसी नें लिया था ,
किसी और को बुलानें के लिए , 
बस ये काफी था ,
मेरे तिनके नुमा दिल को जलने के लिए,
मैं सोचता हूँ ,
कि आँखों में अश्क भर-भर कर उड़ेलूँ
इस आग पर ,
पर क्या करूँ,
मेरी आँखों की मटकी चटकी हुई है ,

एक तेरी याद है,
 जो सीने में अटकी हुई है ,

तुझे पता है !
जिन्दगी तेरे बिना ,
अंधरे में घिरता हुआ एक चराग़ बन गई है ,
जब बसाया था दिल में तो शबनम थी ,
अब तेरी तस्वीर आग बन गयी है ,
तेरी याद में कब का फ़ना हो गया हूँ मैं ,
ये जान तो बस यूँ ही लटकी हुई है ,

एक तेरी याद है ,
जो  सीने  अटकी हुई है ,

तुम्हारा --अनंत

3 टिप्‍पणियां:

raghuraj ki aawaz ने कहा…

bahut kub anurag kasam se bahut acha likha hai bhai

rachana gangwar ने कहा…

bahut khoob.gazab ka likhate ho.kalam ko rukane mat dena.

sid ने कहा…

i m happy yar plz countinue your jurny