सोमवार, नवंबर 15, 2010

मुझको बस याद तेरी ही आएगी

जब तक सांस चलेगी तन में 
मुझको बस याद तेरी ही आएगी
रोते रहेंगे नयन मेरे 
मेरी कलम बस प्रणय गीत ही गाएगी 
मुझको बस याद तेरी ही आएगी
जब-जब बहेगी शीत पवन
बजेगी पायल झन-झन 
केश उड़ेंगे लहर-लहर 
झूम के नाचेगा मेरा मन 
यादों के पर्दों के पीछे 
तू खड़ी- खड़ी मुस्काएगी 
मुझको बस याद तेरी ही आएगी 
मेरी कलम बस प्रणय गीत ही गाएगी

है अधरों पर तेरे मुस्कान 
जलते हैं मेरे अरमान 
जान रहे हैं एक दूजे को हम
फिर भी बनते है अनजान 
मैं तो मृत हो जांउगा
जब तू मुझे छोड़ कर जायेगी 
मुझको बस याद तेरी ही आएगी
मेरी कलम बस प्रणय गीत ही गाएगी 

तेरे बिना भी क्या जीवन है 
तू ही तो मेरा जीवन है 
साँसों के कण-कण में तू है
तू ही मेरी धड़कन है 
मैं तुझको तो भूल न पाऊंगा 
क्या तू मुझको भूल जायेगी 
मुझको बस याद तेरी ही आएगी 
मेरी कलम बस प्रणय गीत ही गाएगी 

जो जीते है वो मरने से कब डरते है 
चलने वाले गिरने से कब डरते है
जो महकाते है सारा उपवन 
वो पुष्प झरने से कब डरते है
मैं ईश्वर कि जगह तुझे पुकारूँगा 
जब मृत्यु मुझको लेने आएगी 
मुझको बस याद तेरी ही आएगी 
मेरी कलम बस प्रणय गीत ही गाएगी 

''तुम्हारा --अनंत ''

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