तुम हमें सहारा मत देना ,
हम रज ढेर बने उड़े पवन में ,
बन कर तिनका हम जले अगन में ,
जब हम गुजरे तेरे नगर से, तू हमे गुजरा मत देना,
तुम हमे सहारा मत देना,
हम राह पड़े है पाहन से ,
तुम हमे देखते घर के आँगन से ,
प्यासा कंठ हमारा है पर ,तुम हमे झूठे प्रेम कि धरा मत देना ,
तुम हमें सहारा मत देना ,
जीवित है हम बेमन से ,
हम ऊब गए है जीवन से ,
देख लिया है हमने तेरा सत्य रूप ,अब दरश दुबारा मत देना ,
तुम हमे सहारा मत देना,
''तुम्हारा--अनंत''
1 टिप्पणी:
no doubt, u r a fntstc upcmng poet.
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