उस लड़की के हर मैसेज में अपना ख़्याल रखो जैसा संदेश रहता था। वो लड़का जिसका दिल मोम का बना था। कभी नहीं बता पाता था कि उसका ख़्याल तो उसी लड़की के पास रहता है।
लड़की का दिल कभी काठ तो कभी पत्थर होता रहता है। बहुत पहले वो नदी और झरने की तरह भी था। था भी कि सिर्फ़ दिखवा ही था कुछ ठीक ठीक नहीं कह सकता वो लड़का। लेखक दूर खड़ा है और सबकुछ ऐसे देख रहा है जैसे किसी कसाई की दुकान के सामने खड़ा कोई तमाशबीन मुर्गे या बकरे को कटते हुए देखता है। एक और लड़का है जिसके दिमाग़ में उसकी प्रेमिका की सगाई पिछले तीन महीनों से हो रही है। कल उसकी सगाई है और वो आज आईएएस का सिलेबस डाउनलोड कर रहा है। उलझन कोसी की बाढ़ की तरह लहरा रही है और कमरा घुटन से भर चुका है। लड़का भाप की तरह सतह से उठता है और अगले ही दम वो आईएएस की कोचिंग में मैनेजर के सामने बैठा हुआ पाया जाता है। 69 हज़ार की बात हुई लड़के ने 2 हज़ार जेब से निकाल का जमा कर दिए। बाकी देता रहेगा कह कर वापस कमरे की तरफ बेहिस कदमों से लौट आया। मोमदिल लड़के ने दही और केले को ब्लेंडर में डाल कर ब्लेंड किया और पपीता खाया। खाने की ज़रूरत उसे इन दिनों नहीं महसूस होती।
अब दोनों लड़के आमने सामने हैं। आईएएस की कोचिंग से लौटा लड़का पूछता है, "मैं क्या करूँ" मोमदिल लड़का कहता है उसे भूल जाओ"। जब वो ये कह रहा होता है तो उसे काठ दिल या पत्थर दिल लड़की की याद आती है। फोन उठाता है और उसका नंबर देख कर डायल नहीं करता और इसबीच दूसरा लड़का अपनी प्रेमिका के पिता को फोन मिला देता है। वो उसके पिता से किसी मेमने की आवाज़ में बात करता है और उसके पिता किसी शेर की तरह जवाब देते हैं। अब आईएएस बनने का सपना देखने वाला लड़का उठता है और सगाई वाली जगह जा कर बच्चों की तरह रोते हुए ज़मीन पर लोटने लगता है। मोमदिल लड़का अपने दिल को जलाता है और मोमबत्ती की मद्धम रोशनी से कमरा भर जाता है। लेखक ठहाका मार कर हंसना चाहता है पर जेब से सिगरेट निकाल कर जला लेता है। एक पल को दुनिया ठहर जाती है और अगले ही पल लेखक की कलम की नोंक पर नाचने लगती है।
अनुराग अनंत
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