शनिवार, जून 01, 2019

चाँद के दाग गिन लेना !!

मेरी सारी प्रेमिकाएँ सिगरेट की तरह रहीं
भीतर से सुलगती हुईं
और बाहर से राख होती हुईं

मैंने लगाया उन्हें होठों से
और सांस के साथ उतार लिया ज़िगर में

आहिस्ते आहिस्ते ख़त्म होतीं रहीं वो
रफ़्ता रफ़्ता घायल होता रहा मैं
नींद आई तो सोने नहीं दिया मुझको
रोना चाहा तो रोने नहीं दिया मुझको

जब तक रहीं लबों पर टिकीं रहीं
जब नहीं रहीं तो नहीं ही रहीं
पर सिगरेट के ख़त्म होने से कहानी ख़त्म नहीं होती
हर सिगरेट ज़िगर में दाग छोड़ जाती है

और इसलिए मुझे जब तुम समझना चाहो
चाँद के दाग गिन लेना

वो जितनी थीं सब की सब कहतीं थीं
मेरा दिल चाँद जैसा है

जितने दाग हैं चाँद पर उतनी ही सिगरेट पी है मैंने
उतनी ही प्रेमिकाएँ थीं मेरी
उतनी ही मौत मरा हूँ मैं
उतनी ही रात जगा हूँ मैं

अनुराग अनंत

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