सोमवार, अप्रैल 23, 2012

लड़की!

लड़की! 
उडती हुई चिड़िया के पर गिन रही है,
उसे यकीन है,
कि एक दिन,
वो भी उड़ सकेगी,

लड़की!
बहती हुई धार की चाल देख रही है,
उसे यकीन है,
कि  एक दिन,
वो भी बह सकेगी, 

लड़की!
धधकते हुए अल्फाज चुन रही है,
उसे यकीन है,
कि एक दिन,
इन्हें वो भी कह सकेगी,

लड़की!
बंद कमरे में कुछ लिख रही है,
उसे यकीन है,
कि एक दिन,
इन्हें सब के सामने  पढ़ सकेगी,

लड़की!
खुली आँखों से सपने देख रही है,
उसे यकीन है
कि एक दिन,
इन्हें वो भी जी सकेगी,  

तुम्हारा--अनंत  


8 टिप्‍पणियां:

Happy Labana ने कहा…

Khoobsurat Alfaaj..
Ek Suljha hua Vishya.
Naari/Ladki ki Bhavnao ko Aapne behtar Tareeke se pesh kiya hai...

shikha varshney ने कहा…

सुन्दर शब्द दिए हैं भावना को आपने ..
अच्छी रचना.

रविकर ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति ।
आमीन ।

दीपिका रानी ने कहा…

आमीन!

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुंदर...............

सपने पूरे ज़रूर होंगे....

अनु

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

हमारी पहली टिप्पणी कहाँ है...........

दोबारा बधाई...सुंदर रचना के लिए...

अनु

Smart Indian ने कहा…

और उसका यकीन हकीक़त में बदलेगा ज़रूर एक दिन

jaadoo ने कहा…

bahot badhiya mamu :)