गुरुवार, मई 10, 2012

परछाई..........

लाल  कैनवास  पर  ,
सबसे  ऊपर  एक छड़,
नापने के लिए लगी हुई है,
उसके नीचे औंधे मुंह लेटी औरत,
कुल जमा कद 5 फुट 2 इंच,

महज एक जिस्म,
जिस्म का तिलस्म,

हाँथ में एक काँच का गिलास,
गिलास में समुद्र और आकाश,
बेतरतीब बिखरी हुई प्यास,

परछाईं  के एक डंडे  से भी फोड़ा जा सकता है गिलास ,
और बह सकती  है एक छाया,
एक अदद प्यास,
उसी औरत की,
जो औंधे मुंह लेटी है,
नापने वाली छड़ के नीचे,
नपते  हुए,

शांत, सिसकती, पिघलती,
प्यास में लिथड़ी हुई परछाई में,
मैंने तड़पती हुई मछलियाँ देखीं है

तुम्हारा-- अनंत

1 टिप्पणी:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह...
क्या गहन भावाव्यक्ति है अनंत जी....
बधाई.

अनु