और गाय भी भूल गयी है
कैसे कटी थी, पिछली बार.
नई धुन में प्यार पोंका जायेगा,
सब तैयार हैं सिवाय उस बैल के,
और उस शेर के,
जो माटी और ईंट-सीमेंट के बने हैं,
अँधेरे की बोलत में मिनिरल वाटर नहीं है,
न ही है; कोल्डड्रिंक,
शराब भी नहीं है,
रौशनी है चाशनी में घुली हुई,
दो बूँद टपकाता है,
दो-दो बूँद,
सारा देश पोलियो ग्रस्त हो गया है,
दो बूँद रौशनी के पी कर,
तुम्हारा--अनंत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें