लड़की!
उडती हुई चिड़िया के पर गिन रही है,
उसे यकीन है,
कि एक दिन,
वो भी उड़ सकेगी,
लड़की!
बहती हुई धार की चाल देख रही है,
उसे यकीन है,
कि एक दिन,
वो भी बह सकेगी,
लड़की!
धधकते हुए अल्फाज चुन रही है,
उसे यकीन है,
कि एक दिन,
इन्हें वो भी कह सकेगी,
लड़की!
बंद कमरे में कुछ लिख रही है,
उसे यकीन है,
कि एक दिन,
इन्हें सब के सामने पढ़ सकेगी,
लड़की!
खुली आँखों से सपने देख रही है,
उसे यकीन है
कि एक दिन,
इन्हें वो भी जी सकेगी,
तुम्हारा--अनंत
8 टिप्पणियां:
Khoobsurat Alfaaj..
Ek Suljha hua Vishya.
Naari/Ladki ki Bhavnao ko Aapne behtar Tareeke se pesh kiya hai...
सुन्दर शब्द दिए हैं भावना को आपने ..
अच्छी रचना.
बढ़िया प्रस्तुति ।
आमीन ।
आमीन!
बहुत सुंदर...............
सपने पूरे ज़रूर होंगे....
अनु
हमारी पहली टिप्पणी कहाँ है...........
दोबारा बधाई...सुंदर रचना के लिए...
अनु
और उसका यकीन हकीक़त में बदलेगा ज़रूर एक दिन
bahot badhiya mamu :)
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