चादर पर पड़ी सिलवट
मेरी परेशानियों की केचुल है
और बिस्तर पर जागती करवट
उस किताब के पन्ने पलटने की क्रिया
जिसमे दर्ज हुआ है, मेरा अतीत
और लिखा जाना है मेरा भविष्य
मैं उन जगती हुई आँखों की तरह हूँ
जिसमे भरीं हैं स्मृतियों की किरचें
और खाली कर दी गयी है नींद
जागना, जेठ की दोपहरी में
तपती सड़क पर नंगे पाँव चलना है
और ठहरना अपनी नसें काट कर मुस्कुराने जैसा कुछ
खाली बटुए का सन्नाटा
कोई मायूस फिल्म है
जिसे देख कर मन अजीब सा उदास हो जाता है
और सपना वो जरुरत जो जीने के लिए जरूरी है
यथार्थ भ्रम का प्रतिबिम्ब है
और भ्रम तो भ्रम है ही
सैकड़ों जागती रातों ने मुझे ये सत्य बताया है
कि जन्म और मृत्यु कुछ नहीं हैं
सिवाए दो बिंदुओं के
जिनके बीच तान कर बाँध दिया गया है जीवन
जिस पर अभिशप्त नट की तरह चलते हैं हम
शरू से लेकर अंत तक
तुम्हारा-अनंत
मेरी परेशानियों की केचुल है
और बिस्तर पर जागती करवट
उस किताब के पन्ने पलटने की क्रिया
जिसमे दर्ज हुआ है, मेरा अतीत
और लिखा जाना है मेरा भविष्य
मैं उन जगती हुई आँखों की तरह हूँ
जिसमे भरीं हैं स्मृतियों की किरचें
और खाली कर दी गयी है नींद
जागना, जेठ की दोपहरी में
तपती सड़क पर नंगे पाँव चलना है
और ठहरना अपनी नसें काट कर मुस्कुराने जैसा कुछ
खाली बटुए का सन्नाटा
कोई मायूस फिल्म है
जिसे देख कर मन अजीब सा उदास हो जाता है
और सपना वो जरुरत जो जीने के लिए जरूरी है
यथार्थ भ्रम का प्रतिबिम्ब है
और भ्रम तो भ्रम है ही
सैकड़ों जागती रातों ने मुझे ये सत्य बताया है
कि जन्म और मृत्यु कुछ नहीं हैं
सिवाए दो बिंदुओं के
जिनके बीच तान कर बाँध दिया गया है जीवन
जिस पर अभिशप्त नट की तरह चलते हैं हम
शरू से लेकर अंत तक
तुम्हारा-अनंत
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