चाँद सिरहाने रख कर
सोया है एक सपना
कुछ तेरा है
कुछ मेरा है
पर है पूरा अपना
इस सपने से एक दिन सूरज उट्ठेगा
और रात के उस पार मिलन होगा अपना
चाँद सिरहाने रख कर सोया है एक सपना...
धरती और उफ़क से कहने को
ख्याल बहुत है दरिया सा बहने को
पर आँखों की भाषा ये कहती है
कुछ और देर ये ख़ामोशी रहने दो
आँखे हर वो बात समझतीं हैं
जो है आँखों को कहना
चाँद सिरहाने रख कर सोया है एक सपना ...
सावन के बालों में उलझी
पानी सी एक कहानी है
अबकी सावन में मुझको
बस वो तुम्हे सुनानी है
मैं ख्वाबों की आवाज़ में बोलूँगा
तुम नीदों के कान से सुनना
चाँद सिरहाने रख कर सोया है एक सपना...
इस बार जो मिलेंगे हम
दरिया सा बह जायेंगे
जहाँ अम्बर और धरती मिलते हैं
वहीँ बैठेंगे और बतियाएंगे
मैं सागर सा तुम्हे पुकारूँगा
तुम रेत महल सा ढहना
चाँद सिरहाने रख कर सोया है एक सपना...
तुम्हारा-अनंत
सोया है एक सपना
कुछ तेरा है
कुछ मेरा है
पर है पूरा अपना
इस सपने से एक दिन सूरज उट्ठेगा
और रात के उस पार मिलन होगा अपना
चाँद सिरहाने रख कर सोया है एक सपना...
धरती और उफ़क से कहने को
ख्याल बहुत है दरिया सा बहने को
पर आँखों की भाषा ये कहती है
कुछ और देर ये ख़ामोशी रहने दो
आँखे हर वो बात समझतीं हैं
जो है आँखों को कहना
चाँद सिरहाने रख कर सोया है एक सपना ...
सावन के बालों में उलझी
पानी सी एक कहानी है
अबकी सावन में मुझको
बस वो तुम्हे सुनानी है
मैं ख्वाबों की आवाज़ में बोलूँगा
तुम नीदों के कान से सुनना
चाँद सिरहाने रख कर सोया है एक सपना...
इस बार जो मिलेंगे हम
दरिया सा बह जायेंगे
जहाँ अम्बर और धरती मिलते हैं
वहीँ बैठेंगे और बतियाएंगे
मैं सागर सा तुम्हे पुकारूँगा
तुम रेत महल सा ढहना
चाँद सिरहाने रख कर सोया है एक सपना...
तुम्हारा-अनंत
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