पैरों पर पर्वत बाँध कर, भाग रहा हूँ मैं
साँसों की सड़क पर
और धडकनें भूल गयी हैं रास्ता
सपनों की गली में भटकते भटकते
नींद लेटी है रात के बगल में
दोनों जाग रहे हैं चुपचाप
और चाँद सो गया है
भूखे पेट, पानी पी कर
तारे हाँफते रहते हैं आजकल
और जब उन्हें देखो
तो धमकी देते हैं कि
वो अपनीं नसें काट लेंगे
मैं अपनीं आँखें बंद कर लेता हूँ
और अँधेरे से मोमबत्ती जलाने को कहता हूँ
पर अँधेरा कहता है कि उसके पांव कटे हैं
वो उठ नहीं सकता, चल नहीं सकता
वो बस पसरा रहेगा
जिंदगी के सारे सचों को मैं झूट बताता हूँ
और इसीबीच जिंदगी के सारे झूठ सच होते जाते हैं
मेरे पीछे जो लोग आ रहे हैं
वो मेरे क़दमों के निशान धोते जाते हैं
इस तरह मैं हर बार
अपने दर्द के साथ अकेला बचता हूँ
जैसे बच जातीं हैं,
कुछ सासें, सांस लेने के बाद
कुछ आंसू, बहुत रोने के बाद
कुछ बातें, सबकुछ कहने के बाद
और कुछ जिंदगी, मौत के बाद
तुम्हारे गुम्बद और किले से
जिंदगी खूबसूरत दिखती है
क्योंकि वहाँ से,
जागती नीदें
घायल रातें
भूखा चाँद
आत्महत्या करते तारे
हांफती हुई साँसे
कीचड़ में धंसी धड़कने
और भटके हुए सपने नहीं दीखते
तुम्हे वहाँ से लोगों के पैरों में बंधे हुए पर्वत
और अदृश्य आवाजों में उलझे हुए हाँथ नहीं दीखते
जहाँ मोम्बतियों की लवें
पैदा होते ही फांसी लगा लेतीं हैं
मैं वहाँ से आया हूँ
जहाँ सूरज पैदा होने से पहले मर जाता है
मैं उस जमीन पर खड़ा हूँ
जमीन के नीचे दबीं हैं मेरी ही हड्डियां
और आकाश में तैर रही हैं मेरी लाशें
यहाँ मुझे अनगिनत आवाजें घेरे हुए हैं
जो मुझसे कह रही हैं
जिंदगी को ज़िदगी बनाना है
परिंदों को पंख लगाना है
इसलिए माफ करना
मैं तुम्हारी सपनीली दिवार पर लिखे नारे नहीं पढ़ सकता
मैं तुम्हारी तरह गुम्बद या किले पर नहीं चढ सकता
जहाँ से जिंदगी बहुत खूबसूरत दिखती है
तुम्हारा-अनंत
साँसों की सड़क पर
और धडकनें भूल गयी हैं रास्ता
सपनों की गली में भटकते भटकते
नींद लेटी है रात के बगल में
दोनों जाग रहे हैं चुपचाप
और चाँद सो गया है
भूखे पेट, पानी पी कर
तारे हाँफते रहते हैं आजकल
और जब उन्हें देखो
तो धमकी देते हैं कि
वो अपनीं नसें काट लेंगे
मैं अपनीं आँखें बंद कर लेता हूँ
और अँधेरे से मोमबत्ती जलाने को कहता हूँ
पर अँधेरा कहता है कि उसके पांव कटे हैं
वो उठ नहीं सकता, चल नहीं सकता
वो बस पसरा रहेगा
जिंदगी के सारे सचों को मैं झूट बताता हूँ
और इसीबीच जिंदगी के सारे झूठ सच होते जाते हैं
मेरे पीछे जो लोग आ रहे हैं
वो मेरे क़दमों के निशान धोते जाते हैं
इस तरह मैं हर बार
अपने दर्द के साथ अकेला बचता हूँ
जैसे बच जातीं हैं,
कुछ सासें, सांस लेने के बाद
कुछ आंसू, बहुत रोने के बाद
कुछ बातें, सबकुछ कहने के बाद
और कुछ जिंदगी, मौत के बाद
तुम्हारे गुम्बद और किले से
जिंदगी खूबसूरत दिखती है
क्योंकि वहाँ से,
जागती नीदें
घायल रातें
भूखा चाँद
आत्महत्या करते तारे
हांफती हुई साँसे
कीचड़ में धंसी धड़कने
और भटके हुए सपने नहीं दीखते
तुम्हे वहाँ से लोगों के पैरों में बंधे हुए पर्वत
और अदृश्य आवाजों में उलझे हुए हाँथ नहीं दीखते
जहाँ मोम्बतियों की लवें
पैदा होते ही फांसी लगा लेतीं हैं
मैं वहाँ से आया हूँ
जहाँ सूरज पैदा होने से पहले मर जाता है
मैं उस जमीन पर खड़ा हूँ
जमीन के नीचे दबीं हैं मेरी ही हड्डियां
और आकाश में तैर रही हैं मेरी लाशें
यहाँ मुझे अनगिनत आवाजें घेरे हुए हैं
जो मुझसे कह रही हैं
जिंदगी को ज़िदगी बनाना है
परिंदों को पंख लगाना है
इसलिए माफ करना
मैं तुम्हारी सपनीली दिवार पर लिखे नारे नहीं पढ़ सकता
मैं तुम्हारी तरह गुम्बद या किले पर नहीं चढ सकता
जहाँ से जिंदगी बहुत खूबसूरत दिखती है
तुम्हारा-अनंत
2 टिप्पणियां:
'जैसे बच जातीं हैं,
कुछ सासें, सांस लेने के बाद
कुछ आंसू, बहुत रोने के बाद
कुछ बातें, सबकुछ कहने के बाद
और कुछ जिंदगी, मौत के बाद'
इन सच्चाईयों को ज़मीन पर खड़े होकर ही जीया जा सकता है...
ठीक कहती है कविता, ऊँची मीनारों से सब सुन्दर लगता है कि नहीं दिखतीं वहाँ से चहुँ ओर व्याप्त विडम्बनाएं!
'जैसे बच जातीं हैं,
कुछ सासें, सांस लेने के बाद
कुछ आंसू, बहुत रोने के बाद
कुछ बातें, सबकुछ कहने के बाद
और कुछ जिंदगी, मौत के बाद'
इन सच्चाईयों को ज़मीन पर खड़े होकर ही जीया जा सकता है...
ठीक कहती है कविता, ऊँची मीनारों से सब सुन्दर लगता है कि नहीं दिखतीं वहाँ से चहुँ ओर व्याप्त विडम्बनाएं!
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