रविवार, मई 01, 2011

जब तक जीत मिले न हमको , हमे लड़ते रहना है ,

  जब कौम किसी से लडती है तो बच्चा -बच्चा लड़ता है ,  
जब तक जीत मिले न हमको ,
हमे लड़ते रहना है ,
मंजिल जब तक मिले न हमको ,
हमें  बढ़ते रहना है ,
भूखे पेट पर हाँथ रख कर कसम खाओ ,
बांध कर मुट्ठी इंक़लाब का परचम लहराओ  ,
फाँकाकशों को जोड़ कर एक फौज़ बनाओ ,
मुफलिसी के खूँ से रँगी दिवार ये गिराओ ,
जब तक जीवन मिले न हमको ,
हमें  मरते रहना है ,
जब तक जीत मिले न हमको ,
हमें लड़ते रहना है ,..................

ग़म को यूँ ही , न दिल में दबाओ ,
न दबो किसी से , न अश्क बहाओ ,
कीमत समझो अपने पसीने की तुम ,
इसे परिवर्तन की  नदी बनाओ ,
जब तक सागर मिले हमको ,
हमें बहते रहना है ,
 जब तक जीत मिले न हमको ,
हमें लड़ते रहना है ,..................

तुम मजदूर ,तुम किसान ,तुम कामगार हो ,
तुम भूंखे हो ,तुम विपन्न हो ,तुम बेघर हो ,
तुम निर्माता ,तुम जनक ,तुम सर्जक हो ,
पर खुद को देखो तो तुम कितने जर्जर हो , 
जब तक सत्ता मिले न हमको ,
हमने शक्ति दिखाते  रहना है ,
जब तक जीत मिले न हमको ,
हमें  लड़ते रहना है ........................

तुम्हारा -अनंत  
इन्कलाब जिंदाबाद ................
मजदूर एकता जिंदाबाद ......छात्र एकता जिंदाबाद ........किसान एकता जिंदाबाद ......
आज 1 may है जो की मजदूरों के संघर्ष के प्रतीक के रूप में पूरे विश्व  में मनाया जाता , इस may दिवस से पूरे विश्व का मजदूर वर्ग प्रेरणा और संघर्ष की शक्ति प्राप्त करता है  .ताकि वो इस पूंजीवादी शोषण पर टिकी हुई व्यवस्ता ,सरकार व मानसिकता के विरुद्ध लड़ सके  , और सर्वहारा दृष्टिकोण पर आधारित समाजवादी  व्यवस्था ,सरकार व मानसिकता स्थापित कर सके ........आज may दिवास पर मेरा मजदूर आन्दोलन व उनके संघर्षों को एक रचनात्मक समर्थन व नमन .......
तुम्हारा --अनंत