जब कोई अपना अजनबी बन जाए
तब इस दिल को कौन समझाए
ये उसे भूल जाए
न तड़पे, न आंसू बहाए
ये दिल उसे भूल जाए..
पर मुमकिन कहाँ है, गुल खुशबु को भूले
चाँद सितारों को भूले, आसमाँ सूरज को भूले
जिस्म जाँ को, रूह धड़कनों को भूले
जब कोई देखना ही न चाहे
तब ये जख्म किसको दिखाएँ
न तड़पे, न आंसू बहाए
ये दिल उसे भूल जाए..
जब जिंदगी के ज़ीने से उतारते हुए
दिखें ख्वाब सब बिखरते हुए
अश्कों के चश्मे बहते हुए
यादों के कांटे चुभते हुए
अब तो जीना पड़ेगा
उसके ख्यालों को जिगर में बसाए
न तड़पे, न आंसू बहाए
ये दिल उसे भूल जाए..
कोई किसी को न अपना बनाए
जो सच न हो, उसे न सपना बनाए
सपने टूट कर जिगर में चुभेंगे
जो सच है हम तो बस वो ही कहेंगे
जख्म देने वाला ही, जब मरहम लगाए
फरेब हम उसे न कैसे बताएं
न तड़पे, न आंसू बहाए
ये दिल उसे भूल जाए..
तुम्हारा- अनंत
तब इस दिल को कौन समझाए
ये उसे भूल जाए
न तड़पे, न आंसू बहाए
ये दिल उसे भूल जाए..
पर मुमकिन कहाँ है, गुल खुशबु को भूले
चाँद सितारों को भूले, आसमाँ सूरज को भूले
जिस्म जाँ को, रूह धड़कनों को भूले
जब कोई देखना ही न चाहे
तब ये जख्म किसको दिखाएँ
न तड़पे, न आंसू बहाए
ये दिल उसे भूल जाए..
जब जिंदगी के ज़ीने से उतारते हुए
दिखें ख्वाब सब बिखरते हुए
अश्कों के चश्मे बहते हुए
यादों के कांटे चुभते हुए
अब तो जीना पड़ेगा
उसके ख्यालों को जिगर में बसाए
न तड़पे, न आंसू बहाए
ये दिल उसे भूल जाए..
कोई किसी को न अपना बनाए
जो सच न हो, उसे न सपना बनाए
सपने टूट कर जिगर में चुभेंगे
जो सच है हम तो बस वो ही कहेंगे
जख्म देने वाला ही, जब मरहम लगाए
फरेब हम उसे न कैसे बताएं
न तड़पे, न आंसू बहाए
ये दिल उसे भूल जाए..
तुम्हारा- अनंत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें