समय ने जिस समय मुझसे कहा कि
उसे किसी भी समय
गोली मारी जा सकती है
या फांसी पर चढ़ाया जा सकता है
उस समय मैं रो रहा था
नारे लगा रहा था
या मिठाइयाँ बाँट रहा था
मुझे ठीक से याद नहीं !
पर मेरे कदम जमीन पर जमे थे
और जमीन के भीतर
कदम ताल तेज हो गयी थी
कुछ लोग बाहर निकलने वाले थे
जिन्हें गोली मारी जानी थी
या फांसी पर चढ़ाया जाना था
इनका चेहरा किसी देश के नक़्शे की तरह था
और इनका नाम किसी देश के नाम की तरह
इन्हें न गिना गया था
और न गिना जा सकता था
दांतों पर भाषा के तार कस दिए गए थे
और आँखों में पैनी शर्म भोंप दी गयी थी
गिलास में खून था या तेज़ाब पता नहीं
पर उसे पीना, जीने के लिए शर्त हो गयी थी
हर सांस पर एक घूँट लगानी थी और कहना था
भारत माता की जय!!
पर जब सांस लेने का मन भी न कर रहा हो
तब कोई भारत माता की जय!
कैसे कह सकता है
और वो हैं कि कहते हैं
राष्ट्रगान गाओ
देश के दुश्मन मारे जा रहें हैं
नाचो गाओ
खुशी मनाओ
फिर खेत की बालियाँ
घाटियों की बर्फ
रेगिस्तान की धूल
और समुद्र का पानी
अपनी ख़ामोशी को मार कर पूछतें हैं कि
राष्ट्र क्या है ?
जिसके नाम पर तुम कहते हो कि
रोने की जगह हंसना है
और जाते हुए लोगों को देख कर हाँथ नहीं हिलाना है
सच कहने का दिल करे तो जीभ काट लेना है
या फिर जंगलों में चले जाना है
और तुम्हारी गोलियों और फांसियों इंतज़ार करना है
और इस तरह जब तुम गा रहे होगे
"मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा"
उस वक्त चुप रहने या कुछ न कहने पर
तुम राष्ट्रद्रोह समझोगे
मैं जानता हूँ!
और मैं ये भी जानता हूँ
कि दंतेवाडा से लेकर जंतर मंतर तक
समय की शक्ल में, मैं ही मारा जाऊंगा
और तुम गाओगे
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा..
उस वक्त मेरा मन कर रहा होगा कि
मैं शोक गीत सुनूं
मौन सुनूं
या फिर नारों की आवाज़ हो
भीड़ की कदम ताल हो
ज़मीन फोड कर निकले
लोगों की ललकार हो
पर उस वक्त गया जायेगा
राष्ट्रगान!!
और सबको बना दिया जायेगा बुत
हाँथ बंधे होंगे
आँखे बंद होंगी
और सांस इतनी धीमी होगी कि
वो महसूस भी न की जा सकेंगी
और उसी समय जब
सब मरे हुए लोगों की शक्ल समय से मिलने लगेगी
गोलियाँ बरसायीं जाएँगी
या सबको फांसी पर चढा दिया जायेगा
और कहा जायेगा कि
देश के दुश्मन मारे जा रहे हैं
खुशी मनाओ
नाचो गाओ
तुम्हारा अनंत
उसे किसी भी समय
गोली मारी जा सकती है
या फांसी पर चढ़ाया जा सकता है
उस समय मैं रो रहा था
नारे लगा रहा था
या मिठाइयाँ बाँट रहा था
मुझे ठीक से याद नहीं !
पर मेरे कदम जमीन पर जमे थे
और जमीन के भीतर
कदम ताल तेज हो गयी थी
कुछ लोग बाहर निकलने वाले थे
जिन्हें गोली मारी जानी थी
या फांसी पर चढ़ाया जाना था
इनका चेहरा किसी देश के नक़्शे की तरह था
और इनका नाम किसी देश के नाम की तरह
इन्हें न गिना गया था
और न गिना जा सकता था
दांतों पर भाषा के तार कस दिए गए थे
और आँखों में पैनी शर्म भोंप दी गयी थी
गिलास में खून था या तेज़ाब पता नहीं
पर उसे पीना, जीने के लिए शर्त हो गयी थी
हर सांस पर एक घूँट लगानी थी और कहना था
भारत माता की जय!!
पर जब सांस लेने का मन भी न कर रहा हो
तब कोई भारत माता की जय!
कैसे कह सकता है
और वो हैं कि कहते हैं
राष्ट्रगान गाओ
देश के दुश्मन मारे जा रहें हैं
नाचो गाओ
खुशी मनाओ
फिर खेत की बालियाँ
घाटियों की बर्फ
रेगिस्तान की धूल
और समुद्र का पानी
अपनी ख़ामोशी को मार कर पूछतें हैं कि
राष्ट्र क्या है ?
जिसके नाम पर तुम कहते हो कि
रोने की जगह हंसना है
और जाते हुए लोगों को देख कर हाँथ नहीं हिलाना है
सच कहने का दिल करे तो जीभ काट लेना है
या फिर जंगलों में चले जाना है
और तुम्हारी गोलियों और फांसियों इंतज़ार करना है
और इस तरह जब तुम गा रहे होगे
"मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा"
उस वक्त चुप रहने या कुछ न कहने पर
तुम राष्ट्रद्रोह समझोगे
मैं जानता हूँ!
और मैं ये भी जानता हूँ
कि दंतेवाडा से लेकर जंतर मंतर तक
समय की शक्ल में, मैं ही मारा जाऊंगा
और तुम गाओगे
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा..
उस वक्त मेरा मन कर रहा होगा कि
मैं शोक गीत सुनूं
मौन सुनूं
या फिर नारों की आवाज़ हो
भीड़ की कदम ताल हो
ज़मीन फोड कर निकले
लोगों की ललकार हो
पर उस वक्त गया जायेगा
राष्ट्रगान!!
और सबको बना दिया जायेगा बुत
हाँथ बंधे होंगे
आँखे बंद होंगी
और सांस इतनी धीमी होगी कि
वो महसूस भी न की जा सकेंगी
और उसी समय जब
सब मरे हुए लोगों की शक्ल समय से मिलने लगेगी
गोलियाँ बरसायीं जाएँगी
या सबको फांसी पर चढा दिया जायेगा
और कहा जायेगा कि
देश के दुश्मन मारे जा रहे हैं
खुशी मनाओ
नाचो गाओ
तुम्हारा अनंत
2 टिप्पणियां:
bahut acha hai
आम आदमी की बेचैनी की अभिव्यक्ति ...बहुत खूब
एक टिप्पणी भेजें