माँ तो बस माँ होती है ,माँ जैसी और कहाँ होती है ???????????????? |
रात भर चलता रहा ,
जहन के मैदान में ,
धीरे -धीरे ..........
शायद कोई ख्याल था ,
या फिर ख्याल का बच्चा ,
वो बम्बई की इमारत जितना सख्त और ऊँचा ,
या फिर तुरंत पैदा हुए बच्चे सा रेशमी ,
वो ख्याल कुछ अजीब ही था ,
हाँ कुछ अजीब ही था वो ................
माँ का दूध महक रहा था उस ख्याल से ,
आँखों में दिवाली का परा गया काजल लगा कर आया था वो ख्याल ,.....
पर मैं क्या करता ?,
बीबी बगल में लेटी थी ,
वो ख्याल बड़ी खामोशी से चिल्ला रहा था !!!!!!!!!!
तुम यहाँ मखमली गद्दे पर सो रहे हो ,
माँ वहाँ रसोई में सा पड़ी है ,
माँ की याद में -
तुम्हारा --अनंत
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मार्मिक अभिव्यक्ति
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