गुरुवार, मई 12, 2011

एक बार क्रांति पंथ पर

रक्त चाट कर महापुरषों का समाज कोई बदलता है 
ये क्रांति का पंथ है ,
इसका न कोई अंत है ,
राह  शूल है पड़े ,
अनल अंगार है जड़े ,
 है यदि अडिग विचार से ,
तो व्यर्थ भय प्रहार से ,
ये अनल तुझे जला न पाएगी ,
दसों दिशाएं तेरी कीर्ति गान गाएंगीं ,
गूंजेगा जीवन में फिर एक राग अमर ,
एक बार क्रांति पंथ पर,
झूम जा जीवन की रज भिखेर कर ,
पीसता है दाँत तू ,
तू बंधता है मुट्ठियाँ ,
तू खीजता है एकांत में ,
भींच कर के चभरियाँ ,
हाँथ अपने ले खड़ग ,
विचार सिंह शहीद  का ,
असफाक,रोशन ,बिस्मिल का, 
बोस और आजाद का , 
उत्सर्ग कर तू प्राण अपने ,
तृषित दृगों को निहार कर ,
एक बार क्रांति पंथ पर,
झूम जा जीवन की रज बिखेर कर ,
जीवन मरुथल में व्याकुल कंठों को ,
जीवन धार पिलाने को परिवर्तन कर ,
है भ्रष्टता में लिप्त घोर भ्रष्ट तंत्र 
निज जीवन की आहूति दे कर खंडन कर ,
ये युद्ध अस्त्र-शस्त्र का  नहीं है, हे !अर्जुन ,
ये युद्ध विचारों का है धार के ध्यान तू सुन ,
चढ़ कर मानवता के रथ पर समता का भाषण  कर ,
मानवता के कोमल  चरणों में निज जीवन अर्पण कर ,
तरस रहीं है मेरी ऑंखें दर्शन को ,
दिखा मुझे तू परिवर्तन दृश्य  उकेर कर ,
एक बार क्रांति पंथ पर ,
झूम जा जीवन की रज बिखेर कर ,

 तुम्हारा --अनंत "

 जीवन खुद के लिए जीने का नाम नहीं बल्कि किसी और के लिए जीने का नाम है ''
इंक़लाब जिंदाबाद !!!!!!!!!!!!!!!!!!!
उन्हें भी जीने का हक है जिन्होंने जीवन देखा ही नहीं ,ये जीवन भी कितना अजीब होता है न !!!!!!!!!!
 किसी के लिए  कुछ और है किसी के लिए कुछ और,
 अमीरों के लिए मज़ा  है ये जीवन ,गरीबों के लिए सजा .......
क्या आप अपने जीवन में इसके खिलाफ आवाज़ उठांगे ??????

2 टिप्‍पणियां:

SHIKHA KHARE ने कहा…

Anant jeewan ki paribhasa kya hai aaj tak sach-much koi samjh nahi paya hai....lekin aapne jeewan ko badi aasani se ek sutra me bandh diya hai.........bahot hi jyada achcha likha hai aapne

SHIKHA KHARE ने कहा…
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