तुम दिल्ली थी
तुम्हें हर कोई पाना चाहता था
मैं भी दिल्ली था
मुझे हर कोई लूट लेना चाहता था
हम दोनों का दिल भी दिल्ली था
सौ बार उजड़ने के बाद भी
बस ही जाता था
समय भी दिल्ली था
वो मुझे, तुम्हें, हमारे दिल को
'कुछ नहीं' समझता था
लोग भी दिल्ली थे
'सब कुछ' समझते थे
कभी चुप रहते थे
कभी हँसते थे
वो बात भी दिल्ली थी
जो हमारी कहन की पहुँच से
हमेशा दूर ही रही
एक बात बताओ न
सब दिल्ली-दिल्ली क्यों है यहाँ ?
अनुराग अनंत
तुम्हें हर कोई पाना चाहता था
मैं भी दिल्ली था
मुझे हर कोई लूट लेना चाहता था
हम दोनों का दिल भी दिल्ली था
सौ बार उजड़ने के बाद भी
बस ही जाता था
समय भी दिल्ली था
वो मुझे, तुम्हें, हमारे दिल को
'कुछ नहीं' समझता था
लोग भी दिल्ली थे
'सब कुछ' समझते थे
कभी चुप रहते थे
कभी हँसते थे
वो बात भी दिल्ली थी
जो हमारी कहन की पहुँच से
हमेशा दूर ही रही
एक बात बताओ न
सब दिल्ली-दिल्ली क्यों है यहाँ ?
अनुराग अनंत
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