बुधवार, मार्च 23, 2011

हथेली में सूरज

जो हाथ मिलाता है मुझसे
जल जाता है हाथ उसका,
लोग मुझसे इस जलन का राज़ पूछते हैं ,
कुछ तो कहते है ,
मैंने एक सूरज छिपा रखा है हाथ में ,
अब मैं कैसे बताऊं उन्हें
 कि वो बिलकुल सही है ,
उन्होंने न जाने कैसे जान लीं वो बातें ,
जो मैंने अब तक न कही हैं ,
वही बात की एक दिन ,
लंच में जबरदस्ती तुमने ,
अपने नन्हे हाथों से,
मेरे नन्हे हाथों पर,
 एक नन्हा  सूरज गढा था ,

जैसे -जैसे मैं जवान हुआ हूँ ,
ये सूरज भी जवान हुआ है ,

तुम्हारा --अनंत 

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