सुरंगों के इस देश में
जहाँ हर शहर, कस्बे और मुहल्ले में
किसी न किसी सुरंग का किस्सा आम है
मैं भी एक सुरंग ढूंढ रहा हूँ
जो मुझसे हो कर तुम तक पहुंचती हो
कोई मुझमें प्रवेश करे तो तुममें निकले
कोई तुममे डूबे तो मुझमे उतराए
मैं आजकल बस दिन रात वही सुरंग ढूढ़ रहा हूँ
और लोग हैं कि कहते हैं
मैं कवि होता जा रहा हूँ
शायर सा दिखने लगा हूँ
मैं बदलता जा रहा हूँ
मुझे भी लगता है
गर नहीं ढूढ़ पाया ऐसी सुरंग
तो इस तरह बदल जाऊंगा
कि सुरंग हो जाऊंगा
'मैं' से 'तुम' तक की सुरंग !
अनुराग अनंत
जहाँ हर शहर, कस्बे और मुहल्ले में
किसी न किसी सुरंग का किस्सा आम है
मैं भी एक सुरंग ढूंढ रहा हूँ
जो मुझसे हो कर तुम तक पहुंचती हो
कोई मुझमें प्रवेश करे तो तुममें निकले
कोई तुममे डूबे तो मुझमे उतराए
मैं आजकल बस दिन रात वही सुरंग ढूढ़ रहा हूँ
और लोग हैं कि कहते हैं
मैं कवि होता जा रहा हूँ
शायर सा दिखने लगा हूँ
मैं बदलता जा रहा हूँ
मुझे भी लगता है
गर नहीं ढूढ़ पाया ऐसी सुरंग
तो इस तरह बदल जाऊंगा
कि सुरंग हो जाऊंगा
'मैं' से 'तुम' तक की सुरंग !
अनुराग अनंत
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