एक भंवर है या धुआं या जाल,
न जाने क्या है ये,
जहाँ मैं हूँ और बस तुम्हारी याद है,
ख्वाईसें ज़मीदोज़,
हसरतें लापता,
चाहतों की दरगाह सूनी,
और मैं तन्हा,
तुम्हारी यादों के साथ हूँ,
मुझे तन्हा रहने दो,
कम से कम तबतक,
जबतक तुम खुद न तोड़ दो,
इस तन्हाई का भंवर,
धुँआ या जाल,
जो कुछ भी है ये,
तुम बहो झरने की तरह मेरी नसों में,
और मैं नदी बन जा मिलूं सुकून के सागर में,
तुम्हारा--अनंत
न जाने क्या है ये,
जहाँ मैं हूँ और बस तुम्हारी याद है,
ख्वाईसें ज़मीदोज़,
हसरतें लापता,
चाहतों की दरगाह सूनी,
और मैं तन्हा,
तुम्हारी यादों के साथ हूँ,
मुझे तन्हा रहने दो,
कम से कम तबतक,
जबतक तुम खुद न तोड़ दो,
इस तन्हाई का भंवर,
धुँआ या जाल,
जो कुछ भी है ये,
तुम बहो झरने की तरह मेरी नसों में,
और मैं नदी बन जा मिलूं सुकून के सागर में,
तुम्हारा--अनंत