मेरी कब्र खोदने के लिए ही मैंने कलम उठाई है
कुदाली की तरह खोदेगी ये मेरी कब्र ,
चीटियों के कंधे पर चढ़ कर मैं पहुंचूंगा,
उस जगह,
जहाँ मैं आजाद हो जाऊँगा ,
मुसलसल चली आ रही कैद से,
ख्याल हो कर बैठ जाऊंगा,
दिलों के भीतर,बहुत भीतर,
और कभी-कभी निकालूँगा,
सिसकियों का मासूम लिबास पहने,
या फिर शीशे के घोल पिए हुए,
चिलाऊंगा तेजी से,
कोई सुने न सुने,
झंडे के नीचे जमे अँधेरे के खिलाफ,
दिया बनने के लिए कलम उठाई है मैंने ,
ये जानते हुए कि अदना ही सही पर,
बड़ा गहरा है ये अँधेरा,
मुझ अकेले के जलने से नहीं हटेगा,
मैं उसके लिए सिर्फ कलेवा हूँ,
ये अच्छी तरह जनता जनता हूँ मैं,
पर मैंने तय कर लिया है
मैं खुद को मारूंगा
मैंने तय कर लिया है,
इस झूठी दुनिया में मैं सच बोलूँगा,
अनुराग अनंत
कुदाली की तरह खोदेगी ये मेरी कब्र ,
चीटियों के कंधे पर चढ़ कर मैं पहुंचूंगा,
उस जगह,
जहाँ मैं आजाद हो जाऊँगा ,
मुसलसल चली आ रही कैद से,
ख्याल हो कर बैठ जाऊंगा,
दिलों के भीतर,बहुत भीतर,
और कभी-कभी निकालूँगा,
सिसकियों का मासूम लिबास पहने,
या फिर शीशे के घोल पिए हुए,
चिलाऊंगा तेजी से,
कोई सुने न सुने,
झंडे के नीचे जमे अँधेरे के खिलाफ,
दिया बनने के लिए कलम उठाई है मैंने ,
ये जानते हुए कि अदना ही सही पर,
बड़ा गहरा है ये अँधेरा,
मुझ अकेले के जलने से नहीं हटेगा,
मैं उसके लिए सिर्फ कलेवा हूँ,
ये अच्छी तरह जनता जनता हूँ मैं,
पर मैंने तय कर लिया है
मैं खुद को मारूंगा
मैंने तय कर लिया है,
इस झूठी दुनिया में मैं सच बोलूँगा,
अनुराग अनंत
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर...
'दिया बनने के लिए कलम उठाई है मैंने'
रौशन है जग इन उन्नत विचारों से!
लिखते रहें!!!
शुभकामनाएं!
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