तेरी यादमें अक्सर आंसू बहता हूँ , ये बताओ तुम मुझे, क्या मै भी तुम्हे याद आता हूँ ?? |
याद आई तेरी जब-जब ,
नयन सावन से झरे ,
आँखें सागर हो गयी,
अश्रु झर-झर कर गिरे ,
मैं विकल विह्वल हुआ ,
प्रेम में घायल हुआ ,
आज बनने को चला था ,
बीता हुआ कल हुआ ,
एक ह्रदय साथ था ,
न जाने कहाँ खो गया ,
बिन ह्रदय कोई जगत में,
कैसे जिए ,कैसे मरे ,
याद आई तेरी जब-जब ,
नयन सावन से झरे ..........
नदी बहती रही किनारे ,
मिल सके न आज तक प्यारे ,
एक किनारे पर एक किनारा ,
दूजे पर दूजा निहारे ,
प्राण तन से है अलग ,
तन प्राण को पल-पल पुकारे ,
प्राण बिन ये तन बिचारे ,
कैसे अपना जीवन गुजारे ,
याद आई तेरी जब-जब ,
नयन सावन से झरे ..............
वो तेरा स्पर्श प्यारे ,
धडकनों में अब तक बसा है ,
वो तेरी आवाज़ की धुन ,
मन मेरा ये नाचता है ,
जब कोई रोता है अकेले ,
खुद ही आंसू पोंछता है ,
प्रेम यदि अपराध है तो ,
हो गया ,अब क्या करें ,
याद आई तेरी जब-जब ,
नयन सावन से झरे ,
आँखें सागर हो गयी,
अश्रु झर-झर कर गिरे ,,
तुम्हारा --अनंत
21 टिप्पणियां:
सुन्दर अभिव्यक्ति
sach kaha sangeeta ji anant ji baat kuch aur hai yuva lekhak hai bahut aage jaye ga sach me
hello Anant
maine aapka blog pada mujhe aapki kuch kavitaye bahot achchi lagi.........mera exam tha isliye mai koi respons nahi de pa rhi thi
bahut sunder roohani rachna hai anant ji ....
बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति...
सुन्दर हृदय से प्रस्फुटित हुई सुन्दर अभिव्यक्ति ...... आभार ।
वाकई जब भी याद आती है तो यही हाल होता है .....बहुत खूब
बहुत खुबसूरत रचना शब्दों का खुबसूरत ताना बना |
वो तेरी आवाज़ की धुन ,
मन मेरा ये नाचता है ,
जब कोई रोता है अकेले ,
खुद ही आंसू पोंछता है
बहुत सुंदर पंक्तियाँ
achhi lagi rachna.........
अनंत जी यह रचना बहुत अच्छी लगी |बधाई |कभी हमारे ब्लॉग पर भी आएं
आशा
प्रेम जो अपराध है और हो गया तो क्या करें ...
मासूम सी बेबसी ...
सुन्दर भावाभिव्यक्ति !
हमारे प्रिय अनन्त,
पहली दफा आपके ब्लॉग पर आकर आपकी सुन्दर भावपूर्ण कविता पढ़ने का अवसर मिला.मार्मिक शब्दों में आपने प्रेम का वर्णन किया है
",प्रेम यदि अपराध है तो ,हो गया ,अब
क्या करें ,याद आई तेरी जब-जब ,
नयन सावन से झरे ,आँखें सागर हो गयी,
अश्रु झर-झर कर गिरे "
अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आयें. आपका हार्दिक स्वागत है.
आपके ब्लॉग को फोलो कर रहा हूँ.
कविता अगर छंद बद्ध लिख रहे हो तो छंद का निर्वाह बहुत ज़रूरी होता हो.लिखते रहो ठीक है मगर अच्छे रचनाकारों को पढ़ते भी रहो.शुभकामनायें.
aap sab kava rasikon kar abhinandan hai aur abhar bhi jo aapne meri ye rachna raraahi sach me mai aapka abhaari hoon aap sab yun hi saath ni bhaate rhiye aap sabka --anant
anant ji aap ki rachana me dard hai ,maasoomiyat hai ,bebsi hai aur in sab se jyada sachaai hai badhaai ho yun hi likhte rahiye
Hello Anurah ji
mai aapko nahi janti hu aapne mere blog me comment diya tha or apni SITE bhi di thi or aapne kaha tha ki aap mera blog bhi pade maine pada mujhe achcha lga tab maine comment diya.....mera exam chal rha tha isliye mai koi respons nahi de pa rhi thi
pahali baar aapke blog main aai hoon bahut hi dard main doobi premmai rachanaa.shabdon ka chyan bemisaal.badhaai aapko.
please visit my blog and leave the comments also.thanks
bahut sunder.. dil ko chhoo lene vali rachna.
बहुत भावपूर्ण रचना |बधाई
आशा
hello Anant
aapne mera blog padna band kar diya kya please mere blog me aaye or mera blog pade.lagta hai aap mere comment se khafa ho gye hain maine aapko blog ke jariye jana hai.or ye baat bhi sach hai ki maine aapki saari kavitaye padi hain mujhe bhaot pasand aai...
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