मै कैसे तुम्हे बिसरूंगा
तुम रक्त धार मे हो मिली हुई
साँसों के धागे से हो सिली हुई
मै हर धडकन के साथ प्रिये,
रह रह कर तुम्हे पुकारूँगा
मैं कैसे तुम्हे बिसरूंगा
मेरे स्वप्नों का दर्पण टूट गया
तेरा हाथ मेरे हाथों से छूट गया
मैं इस टूटे स्वप्न दर्पण में,
तेरा आनन ही निहारूंगा
मैं कैसे तुम्हे बिसरूंगा
तू मुझे बिसारे तेरी इच्छा है ,
तुम रक्त धार मे हो मिली हुई
साँसों के धागे से हो सिली हुई
मै हर धडकन के साथ प्रिये,
रह रह कर तुम्हे पुकारूँगा
मैं कैसे तुम्हे बिसरूंगा
मेरे स्वप्नों का दर्पण टूट गया
तेरा हाथ मेरे हाथों से छूट गया
मैं इस टूटे स्वप्न दर्पण में,
तेरा आनन ही निहारूंगा
मैं कैसे तुम्हे बिसरूंगा
तू मुझे बिसारे तेरी इच्छा है ,
क्या पता मुझे क्या गन्दा है क्या अच्छा है ,
पर मैंने तो ठान लिया,
मैं खुद को तुझ पर वारुंगा ,
मैं कैसे तुम्हे बिसरूंगा ,
''तुम्हारा- अनंत''
मैं खुद को तुझ पर वारुंगा ,
मैं कैसे तुम्हे बिसरूंगा ,
''तुम्हारा- अनंत''
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