tag:blogger.com,1999:blog-3518321702029003500.post5972425756683940733..comments2023-08-17T05:06:06.076-07:00Comments on करवट : मैं गीत प्रणय के गाता हूँ ,Anurag Anant http://www.blogger.com/profile/15882565252484893307noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-3518321702029003500.post-46169498193682947742011-04-06T23:06:10.430-07:002011-04-06T23:06:10.430-07:00अनंत जी आपके भाव अच्छे हैं। पर जैसा कि डॉ श्याम गु...अनंत जी आपके भाव अच्छे हैं। पर जैसा कि डॉ श्याम गुप्ता जी ने कहा, सुधार करें। हालांकि मैं भी पद्य के नियम कायदे नहीं जानता। एक पाठक के तौर पर लगता है कि आपकी लय कुछ टूट रही है।<br />दूसरी बात यह कि ब्लॉग पर इतना बड़ा फोटो लगाने से बाकी चीजें गौण हो रही हैं। कृपया फोटो हटा दें या छोटा करके साइडबार में लगा दें। ब्लॉग का सुदंर दिखना भी बहुत जरूरी है।<br />मेरी सलाह अच्छी लगे तो अपना लेना नहीं तो इग्नोर कर देना।<br />-एम सिंह ‘आमीन’<br /><br />मेरा ब्लॉग भी देखें<br />दुनालीAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/13342084356954166189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3518321702029003500.post-40786309903506838522011-04-06T23:04:59.928-07:002011-04-06T23:04:59.928-07:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13342084356954166189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3518321702029003500.post-15952455992350735122011-04-06T21:02:18.825-07:002011-04-06T21:02:18.825-07:00dhanya vaad dr. shab shukriyadhanya vaad dr. shab shukriyaAnurag Anant https://www.blogger.com/profile/15882565252484893307noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3518321702029003500.post-84047364031732726732011-04-06T09:35:04.177-07:002011-04-06T09:35:04.177-07:00--कविता में गति व लय लाने के लिये मात्रायें बराबर ...--कविता में गति व लय लाने के लिये मात्रायें बराबर होनी चाहिये---जैसे मुखडा (मैं गीत प्रणय के गाता हूँ ) १६ मात्रिक है अत:--- इस तरह ठीक करें...<br /><br />मैं गीत प्रणय के गाता हूँ ,---16 मात्रा<br />एक साथी था प्यारा -प्यारा ,--१७..मात्रा(एक=इक)=१६ मात्रा<br />जिस पर तन-मन(सब ) था वारा,--१४ मात्रा (+सब)=१६<br />टेक--=उस प्रियतम की (सुन्दर)प्रतिमा, अपने/(इस) दिल में रोज बन(ना)ता हूँ ।-- १६+१६ =३२...<br />---तो अगली टेक--इस अन्धकार से लड़ने को, मैं उसकी यादें सुलगाता हूँ ,---३४ मात्रा...-मैं=२ मात्रा ==३२ मात्रा..<br /><br />अब इसकी लय व गति की तुलना करिये...अच्छी लगेगी.. shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3518321702029003500.post-9385649898233568952011-04-05T18:51:54.623-07:002011-04-05T18:51:54.623-07:00Nice poem .
"अरफान ज़माने की आदत है बुरा कहना...Nice poem .<br /><br />"अरफान ज़माने की आदत है बुरा कहना,<br />है अपनी तबियत के नासाज़ नहीं होती.''<br /><br />"उम्र भर करता रहा हर शख्स पर मैं तबसरे,<br />झांक कर अपने गिरेबाँ में कभी देखा नहीं."DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.com